Manglik Yog

मंगलीक योग

मंगलिक योग

कैसे बनता है मंगलिक योग ?

जब लग्नकुण्डली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवं बारहवें भाव में मंगल हो अर्थात मंगल ग्रह ही उपस्थिति हो तो व्यक्ति मंगलिक होता है।

मंगलिक योग कितने प्रकार का होता है ?

मंगलीक योग 3 प्रकार का होता है –

  1. आंशिक मंगलिक योग 
  2. डबल मंगलिक योग
  3. ट्रिपल मंगलिक योग

कैसे बनता है आंशिक मंगलिक योग ?

  1. जब चन्द्रकुण्डली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवं बारहवें भाव में मंगल हो अर्थात मंगल ग्रह ही उपस्थिति हो तो व्यक्ति आंशिक मंगलिक होता है।
  2. कुछ विद्वानों का मानना है यदि लग्न से या चन्द्रमा जहां बैठे हो वहां से दूसरे भाव में मंगल आजाये तो भी व्यक्ति आंशिक मंगलिक होता है।

कैसे बनता है डबल मंगलिक योग ?

  1. जब लग्नकुण्डली व चन्द्र कुण्डली दोनों में व्यक्ति मंगलिक हो।
  2. यदि मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवं बारहवें भाव में अपनी नीच राशि कर्क में हो। और उसका नीचभंग ना होता हो।
  3. यदि मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवं बारहवें भाव में किसी भी एक पाप ग्रह के साथ बैठा हो।

कैसे बनता है ट्रिपल मंगलिक योग ?

  1. यदि मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवं बारहवें भाव में अपनी नीच राशि कर्क में हो साथ ही साथ किसी पाप ग्रह के साथ बैठा हो।
  2. यदि मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवं बारहवें भाव में कोई भी दो पाप ग्रह के साथ बैठा हो।

कैसे बनता है भौम पंचक योग ?

  1. यदि मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवं बारहवें भाव में अन्य चार क्रूर ग्रहो के साथ बैठा हो तो यह भौम पंचक दोष कहलाता है।

क्या परिणाम देता है मंगलिक योग ?

1. आंखो की कमजोरी, किसी एक आंख में ज्यादा तकलीफ।
2. बच्चे पैदा करने में दिक्कत, शरीर में खून की कमी या रक्त की अशु़द्ध।
3. शरीर के जोड़ो का ठीक से काम नहीं करना।
4. शादी में देरी और रूकावटे इनका कोई काम शान्ति पूर्वक नहीं निपटता।
5. अपने भाई-बहनों, से कभी अच्छे सम्बन्ध नहीं होते या बड़े बहन भाई ही नहीं होते।
6. पति पत्नी के स्वास्थ्य और प्रेम संबंधो पर नकारात्मक प्रभाव
7. जातक का स्वभाव आक्रामक, हिसंक, स्वयं के क्रोध के कारण नुकसान।
8. पहले घर में जीवन में अनावश्यक संघर्ष, स्थिति कई बार शारीरिक हिंसा तक।
9. दूसरे घर में परिवार की प्रतिष्ठा को हानि, तलाक व दूसरे विवाह की संभावना।
10. चौथे घर में नौकरी से असंतोष और नौकरी में बार बार परिवर्तन, वाहन और माता के सुख में कमी।
11. सातवें घर में व्यक्ति गुस्सैल, दूसरो पर अनावश्यक हावी होना, परिवार के सदस्यों पर जबरदस्ती अपनी राय थोपना।
12. आठवें घर में व्यक्ति आलसी, अचानक गुस्सा, दुर्घटनाओं की संभावना।
13. बारहवें घर में मानसिक अशांति, नींद में कमी, चिन्ताएं अधिक, स्वभाव में आक्रामकता, गैरकानूनी काम करने की संभावना अधिक।

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