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वास्तु पुरुष की उत्पति

Vastu Purush

वास्तु पुरुष की उत्पति की कहानी, कैसे उन पर 45 देवताओं और राक्षसों ने अपना स्थान ग्रहण किया (वास्तु पुरुष की उत्पति) लिंग पुराण और वामन पुराण के अनुसार एक बार की बात है, भगवान शिव और देवी पार्वती भ्रमण के लिए काशी जाते है। काशी में लीला करते हुए भगवान शिव अपना मुँह पूर्व […]

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Graho ke Upasan Mantra

ग्रहों के उपासना मंत्र

सूर्य ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः चन्द्रमा ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः मंगल ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः बुध ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः गुरु ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः शुक्र ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः शनि ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये

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Swayam Sidda Upay

स्वयं सिद्ध उपाय

जिन्हें जन सामान्य को करना ही चाहिए 1. प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व उठने से, और शौच-स्नान से निव्रत होकर भगवान सूर्य को जल अर्पित करते है, तो आपकी कुंडली का सूर्य बलवान होता है। समाज में आपकी connectivity बढ़ जाती है। आपके कोई काम नहीं रुकते है। आपका मान सम्मान बढ़ जाता है। बीमारी आपको

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Faith On God

ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए करता है

ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए करता है। एक बार एक राजा अपने दरबार को सम्बोधित कर रहे थे। सभा समाप्त होने पर उनके मन में फल खाने की इच्छा हुई, उनकी इच्छा पर फल, तुरंत उनके समक्ष प्रस्तुत किये गए, उस समय राजा अपने कुछ मंत्री जनो और सभाजनों के साथ बैठे थे,

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ShadyantraYog

षड़यंत्र योग

षडयंत्र योग कैसे बनता है षडयंत्र योग ? जब किसी भी कुंडली में लग्नेश आठवे घर में बैठा हो साथ ही वो पीड़ित हो तब इस दुर्योग का निर्माण होता है। षड़यंत्र योग के परिणाम :- ऐसा व्यक्ति अक्सर किसी षड़यंत्र का शिकार होजाता है। व्यक्ति का मान सम्मान दांव पर लग जाता है। जिन

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Manglik Yog

मंगलीक योग

मंगलिक योग कैसे बनता है मंगलिक योग ? जब लग्नकुण्डली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवं बारहवें भाव में मंगल हो अर्थात मंगल ग्रह ही उपस्थिति हो तो व्यक्ति मंगलिक होता है। मंगलिक योग कितने प्रकार का होता है ? मंगलीक योग 3 प्रकार का होता है – आंशिक मंगलिक योग  डबल मंगलिक योग ट्रिपल

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habits

आदतों से पहचाने की आपका कौनसा ग्रह पीड़ित है

आदतों से पहचाने की आपका कौनसा ग्रह पीड़ित है 1. यदि आप बैठे बैठे पैर हिलाते रहते है तो आपका बुध, शनि और चन्द्रमा पीड़ित है। 2. यदि आप अपने शरीर में खुजली की वजह से परेशान हो तो आपका राहु और केतु ग्रह पीड़ित है। 3. यदि आप बहुत फालतू बोलते हो, बिना कारण

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Panchang

पंचांग श्रवण का महत्त्व

पंचांग श्रवण का महत्व तिथिवारं च नक्षत्रं योगः करणमेव च ।यत्रैतत्पञ्चकं स्पष्टं पञ्चाङ्गं तन्निगद्यते ॥जानाति काले पञ्चाङ्गं तस्य पापं न विद्यते ।तिथेस्तु श्रियमाप्नोति वारादायुष्यवर्धनम् ॥नक्षत्राद्धरते योगाद्रोगनिवारणम् ।करणात्कार्यसिद्धिः स्यात्पञ्चाङ्गफलमुच्यते ॥पापंपञ्चाङ्गस्य फलं श्रुत्वा गङ्गास्नानफलं लभेत् । तिथि, वार, नक्षत्र, योग तथा करण-इन पाँचों का जिसमें स्पष्ट मानादि रहता है, उसे पंचांग कहते हैं। जो यथा समय पंचांग

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पितृ दोष

पितृ दोष कैसे बनता है पितृ दोष ? जब जन्मकुंडली के किसी भी भाव में यदि राहु या केतु की युति सूर्य गुरु या चन्द्रमा से हो तब इस दुर्योग का निर्माण होता है। पितृ दोष के परिणाम :- जीवन के हर क्षेत्र की Growth रुक जाती है ऐसे लोगो को लम्बे समय तक व्यापार

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अंगारक योग

अंगारक योग कैसे बनता है अंगारक योग ? जब जन्मकुंडली के किसी भी भाव में यदि राहु और मंगल की युति हो या दोनों में दृष्टि संबंध हो तब इस अंगारक योग का निर्माण होता है। अंगारक योग के परिणाम :- अंगारक योग से पीड़ित व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों से परेशान होता है

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